मध्य प्रदेश के शिक्षकों के लिए एक बड़ी खबर है! जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने नवीन शिक्षक संवर्ग (पूर्व में अध्यापक संवर्ग) को छठवें वेतनमान में विसंगति विवाद पर अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ताओं को राहत प्रदान की है।
यह मामला राकेश पांडेय सहित लगभग 2000 शिक्षकों द्वारा दायर किया गया था। इन शिक्षकों ने मध्य प्रदेश शासन के द्वारा 01/01/2016 से लागू छठवें वेतनमान में उत्पन्न विसंगतियों को चुनौती दी थी। उन्होंने त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण, प्री-रिवाइज्ड बेसिक सैलरी में कमी, सेवा की गणना में त्रुटि, कृत्रिम टेबल के माध्यम से मौजूदा वेतन में कमी और 6 महीने से अधिक सेवा को पूर्ण वर्ष नहीं मानने जैसी कई विसंगतियों का जिक्र किया था।
यह मामला लगभग 7 वर्षों से कोर्ट में लंबित था। मध्य प्रदेश शासन ने याचिका खारिज करने का अनुरोध करते हुए तर्क दिया कि ग्वालियर पीठ ने पहले ही इसी तरह की याचिका खारिज कर दी है।
हालांकि, अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी ने कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया कि ग्वालियर बेंच के समक्ष बेसिक वेतन में कमी का मुद्दा नहीं उठाया गया था। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि वेतन निर्धारण का मामला एक्सपर्ट समिति के बजाय प्रमुख सचिव द्वारा देखा जाना चाहिए।
हाई कोर्ट ने 6 अगस्त, 2024 को अंतिम आदेश जारी करते हुए प्रमुख सचिव, पंचायत एवं स्कूल शिक्षा को निर्देशित किया कि वे याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदन का बिंदुवार निराकरण करें। साथ ही, कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि इस अवधि में किसी भी याचिकाकर्ता के वेतन में कमी नहीं की जाएगी। दूसरे शब्दों में, जब तक शासन वेतन विसंगति संबंधी अभ्यावेदन का निर्णय नहीं लेता, कोर्ट का स्टे जारी रहेगा।
यह फैसला मध्य प्रदेश के हजारों शिक्षकों के लिए एक बड़ी राहत है और वेतन विसंगतियों के निराकरण की उम्मीद जगाता है।