मालवा की धरती पर बसा इंदौर शहर, अपनी ऐतिहासिक धरोहरों, समृद्ध संस्कृति और जीवंत परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। इस शहर की आध्यात्मिक आभा को और भी प्रखर बनाने वाला एक महत्वपूर्ण केंद्र है – खजराना गणेश मंदिर। यह मंदिर, केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि आस्था, चमत्कार और इतिहास का त्रिवेणी संगम है, जो न केवल इंदौर, बल्कि पूरे देश के श्रद्धालुओं के लिए श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है।
रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा निर्मित यह मंदिर, अपनी भव्यता, स्थापत्य कला और दिव्यता के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में विराजमान गणेश भगवान, खजराना गणेश के रूप में पूजे जाते हैं, और इन्हें मनोकामना पूर्ति के देवता के रूप में जाना जाता है।
खजराना गणेश मंदिर का इतिहास
यह मंदिर, 18वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य की एक प्रतापी रानी, अहिल्याबाई होल्कर द्वारा स्थापित 1735 किया गया था। रानी अहिल्याबाई होल्कर, अपनी धार्मिक प्रवृत्ति, न्यायप्रियता और लोक कल्याणकारी कार्यों के लिए जानी जाती थीं। कहा जाता है कि उन्हें स्वप्न में भगवान गणेश ने दर्शन दिए और जमीन में दबी हुई अपनी प्रतिमा को खोजने का निर्देश दिया। रानी ने स्वप्न का आदेश मानते हुए, उस स्थान की खुदाई करवाई, जहां से भगवान गणेश की एक अद्भुत मूर्ति प्राप्त हुई। इसके बाद रानी ने उस स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया, जो आज खजराना गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है।
मंदिर का स्थापत्य, कलात्मकता और आध्यात्मिकता का अद्भुत मिश्रण प्रस्तुत करता है। गर्भगृह की बाहरी दीवार चांदी से निर्मित है, जिस पर विभिन्न देवी-देवताओं की सुन्दर मूर्तियाँ उकेरी गयी हैं। गर्भगृह की ऊपरी दीवार भी चांदी से बनी है, जो मंदिर की भव्यता को और भी बढ़ाती है। गणेश जी की मूर्ति, काले पत्थर से बनी हुई है, और उनकी आँखें हीरे से जड़ी हुई हैं, जिन्हें इंदौर के एक व्यवसायी ने दान में दिया था। मंदिर परिसर में अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं, जिनमें राधा-कृष्ण, हनुमान जी, शिव परिवार और नवग्रह देवताओं के मंदिर शामिल हैं।
अपनी चमत्कारी शक्तियों के लिए भी प्रसिद्ध है।
यहाँ आने वाले भक्तों का मानना है कि खजराना गणेश, उनके सभी कष्टों को दूर करते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। मंदिर में एक विशेष परंपरा है, जिसमें भक्त, गणेश जी की पीठ पर उल्टा स्वस्तिक बनाते हैं, और अपनी मनोकामना पूरी होने पर सीधा स्वस्तिक बनाते हैं। इस मंदिर में तीन परिक्रमा लगाते हुए धागा बांधने की परंपरा भी है, जिसके बारे में माना जाता है कि इससे भक्तों की इच्छाएं पूरी होती हैं।
खजराना गणेश मंदिर देश के सबसे धनी मंदिरों में से एक है।
यहां आने वाले भक्त, अपनी श्रद्धा और भक्ति के प्रतीक स्वरुप, सोना, चांदी, हीरे और अन्य बहुमूल्य वस्तुएं दान करते हैं। मंदिर में रोजाना पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है, लेकिन बुधवार का दिन, भगवान गणेश को समर्पित होता है, और इस दिन विशेष पूजा और आरती का आयोजन किया जाता है। गणेश चतुर्थी का त्यौहार, इस मंदिर का मुख्य त्यौहार है, जिसे अगस्त और सितंबर के महीने में भव्य तरीके से मनाया जाता है। इस दौरान, मंदिर को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है, और हजारों भक्त, भगवान गणेश के दर्शन के लिए यहाँ आते हैं।
खजराना गणेश मंदिर, केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि इंदौर शहर के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है। मंदिर प्रबंधन द्वारा, गरीबों और जरूरतमंदों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं चलाई जाती हैं, जिनमें अस्पताल, विद्यालय और अनाथालय शामिल हैं। मंदिर, इंदौर शहर के पर्यटन का भी एक प्रमुख आकर्षण है, और देश-विदेश से आने वाले पर्यटक, इस मंदिर के दर्शन जरूर करते हैं।
खजराना गणेश मंदिर कैसे पहुँचे
- हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा देवी अहिल्याबाई होल्कर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो मंदिर से लगभग 8 किलोमीटर दूर है।
- रेल मार्ग: इंदौर जंक्शन रेलवे स्टेशन, देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 5 किलोमीटर है।
- सड़क मार्ग: इंदौर, मध्यप्रदेश के अन्य शहरों से सड़क मार्ग द्वारा भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। मध्यप्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम और निजी बस सेवाएं, इंदौर से अन्य शहरों के लिए नियमित रूप से बसें चलाती हैं।
खजराना गणेश मंदिर, इंदौर शहर का एक अनमोल रत्न है, जो अपनी स्थापत्य कला, चमत्कारी शक्तियों और सामाजिक योगदान के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर, भक्तों के लिए श्रद्धा का केंद्र है, और इंदौर की आध्यात्मिक आभा को और भी प्रखर बनाता है।