मध्य प्रदेश में एक शिक्षिका को लंबे समय तक अपनी प्रमोशन की प्रतीक्षा के बाद आखिरकार न्याय मिला है। श्रीमती रजनी चौरसिया, एक उच्च श्रेणी शिक्षिका, राजा भोज हायर सेकेण्डरी स्कूल भोपाल में पदस्थ थीं। उनका चयन 19 जुलाई, 2023 को वरिष्ठता और योग्यता के आधार पर लेक्चरर के पद के लिए हो गया था, लेकिन विभाग ने उनकी पोस्टिंग ऑर्डर जारी करने में देरी की।
इस देरी का बहाना चुनाव आचार संहिता बताया गया। पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनावों के दौरान विभाग ने आदेश को रोककर रखा, लेकिन उच्च न्यायालय जबलपुर ने इस बहाने को अस्वीकार कर दिया। श्रीमती चौरसिया के रिटायरमेंट की तारीख 31 मई, 2024 थी और बिना पोस्टिंग ऑर्डर के, उन्हें उच्च श्रेणी शिक्षक के पद से रिटायर होना पड़ता, जो उनके लिए एक बड़ा नुकसान होता।
श्रीमती चौरसिया ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की और उनके वकील, श्री अमित चतुर्वेदी ने कोर्ट को बताया कि चुनाव आचार संहिता का बहाना सही नहीं है क्योंकि श्रीमती चौरसिया का चयन पहले ही हो चुका था और विभाग के पास प्रमोशन ऑर्डर जारी करने के लिए कोई वैध कारण नहीं था।
हाई कोर्ट ने विभाग के तर्कों को अस्वीकार करते हुए आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल को आदेश दिया कि श्रीमती चौरसिया के लेक्चरर के पद पर प्रभार देने के लिए पोस्टिंग ऑर्डर 10 दिनों के भीतर जारी करें। आखिरकार, 9 मई, 2024 को, चुनाव आचार संहिता के दौरान ही, आयुक्त ने कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए श्रीमती चौरसिया की पोस्टिंग शासकीय मॉडल हायर सेकेण्डरी स्कूल, गांधी नगर, फंदा, भोपाल में की।
यह मामला दर्शाता है कि कैसे न्यायालय शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा करते हैं और विभागों को नियमों के अनुसार काम करने के लिए मजबूर करते हैं। यह भी दर्शाता है कि कैसे विभाग कभी-कभी चुनावों का बहाना बनाकर नियमों का उल्लंघन करते हैं और शिक्षकों को नुकसान पहुंचाते हैं।