मध्य प्रदेश शासन के वित्त विभाग ने संविदा कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए एक नया सीपीआई इंडेक्स जारी किया है। इससे कर्मचारियों को 785 से 2535 रुपए तक का मासिक लाभ मिलेगा। वेतन वृद्धि 1 अप्रैल 2024 से प्रभावी होगी, जिससे कर्मचारियों को 3 महीने का एरियर भी प्राप्त होगा। हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि एरियर का भुगतान कब और कैसे किया जाएगा।
केंद्र और राज्य सरकारों के सीपीआई इंडेक्स में अंतर क्यों?
मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी-अधिकारी महासंघ ने इस पर आपत्ति जताई है। महासंघ का तर्क है कि जब केंद्र सरकार ने 5.39 प्रतिशत का सीपीआई इंडेक्स जारी किया है, तो मध्य प्रदेश में इसे 3.87 प्रतिशत क्यों रखा गया है? वर्ष 2023 में जारी संविदा नीति के अनुसार, हर साल एक अप्रैल को संविदा कर्मचारियों की महंगाई दर (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) में वृद्धि की जानी थी। लेकिन सरकार ने अप्रैल में सीपीआई इंडेक्स दर जारी नहीं की। महासंघ द्वारा मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री, मुख्य सचिव, वित्त और सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को ज्ञापन सौंपने और आंदोलन की चेतावनी देने के बाद ही वित्त विभाग ने यह आदेश जारी किए। इससे संविदा कर्मचारियों को लाभ मिलेगा, लेकिन अन्य राज्यों के कर्मचारियों की तुलना में यह कम होगा।
विभिन्न विभागों में अलग-अलग सीपीआई इंडेक्स दरें
संविदा कर्मचारी वित्त विभाग पर सीपीआई इंडेक्स की दर तय करने में मनमानी का आरोप लगा रहे हैं। यह आरोप सही प्रतीत होता है क्योंकि पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन ने अपने संविदा कर्मचारियों के लिए 5.64 प्रतिशत और स्वास्थ्य विभाग के जबलपुर एवं नरसिंहपुर क्षेत्रीय कार्यालयों ने अपने कर्मचारियों को 5.39 प्रतिशत का लाभ दिया है। इससे इन विभागों के संविदा कर्मचारियों के पारिश्रमिक में अन्य विभागों की तुलना में अधिक वृद्धि होगी।
संविदा कर्मचारियों के अधिकार
मध्य प्रदेश संविदा अधिकारी महासंघ के अध्यक्ष रमेश राठौर का कहना है कि भारत सरकार ने 5.39 प्रतिशत का सीपीआई इंडेक्स जारी किया है, तो मध्य प्रदेश में भी यही दर लागू होनी चाहिए थी। इसके साथ ही, नियमित कर्मचारियों के समान 3 प्रतिशत इंक्रीमेंट भी दिया जाना चाहिए था। महासंघ का मानना है कि संविदा कर्मचारी मजदूर नहीं हैं, जिन्हें केवल सीपीआई इंडेक्स दिया जा रहा है। उन्हें नियमित कर्मचारियों के समान वेतन और भत्ते मिलने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि 12 महीने से अधिक समय तक कार्यरत और नियमित कार्य करने वाले संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारी माना जाना चाहिए।