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Swastik in hindi:स्वास्तिक का मतलब क्या होता है क्या है इसके पीछे का रहस्य

Last updated: 06/03/2024
Kumar
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Swastik in hindi: भारत में आप ने हमेशा देखा होगा की कोई भी शुभ कार्य पर लोग अपने उस काम में स्वास्तिक बनाते है जैसे गाड़ी खरीदते समय उसपर स्वास्तिक बनाया जाता है हिन्दू धर्म में स्वास्तिक एक महत्वपूर्ण चिन्ह है जिसे सभी हिन्दू अपने सुबह कार्य में उपयोग करते है। लेकिन क्या आप जानते है की ऐसा क्यों किया जाता है या फिर स्वास्तिक का मतलब क्या होता है आखिर इसके पीछे क्या रहस्य छुपा हुआ। स्वास्तिक का निर्माण कैसे हुआ और यह कैसे उपयोग किया जाने लगा आखिर क्या मान्यता है स्वास्तिक को हर शुभ कार्य में शामिल करने का। आपके मन भी यदि ऐसे सवाल है तो बने रहे इस आर्टिकल में ,हम आपको बतायेगे स्वास्तिक के पीछे क्या रहस्य है।

Contents
स्वास्तिक का क्या महत्व है Meaning of Swastik in Hindiस्वास्तिक के पीछे क्या धार्मिक कारण हैस्वास्तिक की आकृति किसके जैसी हैswastik ka arth kya haiमंगल प्रतिक चिन्ह क्या हैकैसा होता है स्वास्तिक चिन्ह How to write swastik in hindiस्वास्तिक को दो प्रकार से बनाया जा सकता हैस्वास्तिक चिन्ह की स्थान पर बनाना चाहिएस्वास्तिक नाम का शुभ अंक क्या है

स्वास्तिक का क्या महत्व है Meaning of Swastik in Hindi

स्वास्तिक का हिन्दू धर्म में हिन्दुओ के लिए महत्व रखता है दरसल स्वास्तिक चिन्ह का उपयोग किसी शुभ कार्य के समय किया जाता है। स्वास्तिक बनाने के बाद उसकी पूजा की जाती है। ऐसे इसलिए करते है क्योकि स्वास्तिक को मंगल कार्य का प्रतिक माना जाता है।

स्वास्तिक के पीछे क्या धार्मिक कारण है

स्वास्तिक के पीछे एक ठोस कारण है। ऐसा माना जाता है की स्वास्तिक चिन्ह भगवान गणेश का प्रतिक है। किसी भी कार्य को करने से पहले स्वास्तिक चिन्ह बनाया जाता है ,मनोकामना की जाती है की जिस कार्य को शुरू करने जा रहे है उस कार्य में ज्यादा से ज्यादा वृद्धि हो और वह कार्य कभी भी न रुके। स्वास्तिक के पीछे की कहानी कुछ इस तरह है,जब भगवान शिव ने अपने दोनों बेटो की बुद्धि की परीक्षा ली तो इस बुद्धि परीक्षा में भगवान् श्री गणेश अपने भाई कार्तिकेय से ज्यादा बुद्धिमान और तेज साबित हुए। भगवान् गणेश इस परीक्षा में अव्वल रहे इसीलिए सभी देवी देवताओ ने उन्हें आशीर्वाद दिया की जब भी कोई शुभ कार्य किया जायेगा तो सबसे पहले गणेश तुम्हारे ही पूजा की जाएगी।

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भगवान् श्री गणेश को यह आशीर्वाद मिलने के बाद से उनके आव्हान के लिए स्वास्तिक चिन्ह बनाये जाते है और उनकी पूजा की जाती है। ऐसा करने से जीवन सब कुछ मंगल होता है। ऋग्वेद में स्वास्तिक को सूर्य का भी चिन्ह माना गया है। सूर्य को भी ऊर्जा और प्रकाश का प्रतिक माना जाता है। हिन्दू धर्म में स्वास्तिक बनाकर उसकी पूजा की जाती है। स्वास्तिक को चार दिशाओ का संकेत भी कहा गया है।

स्वास्तिक की आकृति किसके जैसी है

हिन्दू धर्म में कुछ लोगो का यह मानना है की स्वास्तिक चिन्ह भगवान् गणेश की आकृति है जिसमे दो हाथ और पेअर दिखाई पड़ते है और बिच के बिंदु में उनका चेहरा दिखाई देता। अर्थात स्वास्तिक चिन्ह भगवान् गणेश जैसा दिखाई पड़ता है। स्वास्तिक की आकृति को गणेश का स्वरुप मान कर भी पूजा जाता है।

swastik ka arth kya hai

स्वास्तिक को कार्य की शुरवात और मंगल कार्य में रखते है। साथ ही यह भगवान् गणेश का रूप भी माना जाता है। इसका प्रयोग करने से मनुष्य को सम्पन्नता ,समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। जिस कार्य में पूजा पाठ में स्वास्तिक का प्रयोग नहीं किया जाता वो पूजा असफल मानी जाती है। और उसका प्रभाव लम्बे समय तक नहीं रह पाता।

मंगल प्रतिक चिन्ह क्या है

घरो में पूजा होने पर जब पंडित जी मंगल चिन्ह बनाने को कहते है तब आप भी यही सोचते होंगे की ये मंगल चिन्ह क्या है। दरसल मंगल चिन्ह स्वास्तिक को ही कहा जाता है। ऐसा इसीलिए कहा जाता है। क्योकि स्वास्तिक का उपयोग मंगल कार्य में ही किया जाता है।

कैसा होता है स्वास्तिक चिन्ह How to write swastik in hindi

स्वास्तिक चिन्ह बनाने में होता है संदेह की सही बन रहा है या नहीं तो इस बात को जान लो कभी भी नहीं बनेगा गलत स्वास्तिक चिन्ह हमेशा बनाये सटीक स्वास्तक चिन्ह। आइये जानते है कैसे बनाया जाता है स्वास्तिक चिन्ह – स्वास्तिक में एक दूसरे को काटती हुई सीधी रेखाएं होती है। जो आगे चलकर मूड़ जाती है। इसके बाद भी ये रेखाएं अपने सिरो पर थोड़ी और आगे की तरफ मुड़ जाती है।

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स्वास्तिक को दो प्रकार से बनाया जा सकता है

पहले स्वास्तिक में रेखाएं आगे की तरफ मुड़ती है और हमारे दाए तरफ इंगित होती है। इसे स्वास्तिक कहते है यह हमारे प्रगति करने में काम आता है। दूसरे प्रकार में स्वास्तिक की रेखाएं पीछे की ओर संकेत करती है और हमारे बाये ओर मुड़ती है। लेकिन इस स्वास्तिक को गलत माना जाता है और इसे अशुभ कहा जाता है। यह तरीका स्वास्तिक बनाने का सही तरीका नहीं है इसे गलत तरीका माना जाता है। भारतीय संस्कृति में इसे अमान्य घोषित किया गया है। स्वास्तिक मंगल कार्यो में उपयोग किया जाता है इसीलिए इसको बनाने में कोई गलती नहीं होनी चाहिए इससे सीधा असर आपके कार्य पर पड़ता है। स्वास्तिक बनाते समय यह ध्यान रखे की स्वास्तिक सही आकृति और सही तरीके बन रहा है या नहीं यदि ये आपके हाथ बिगड़ रहा है तो आप अपने करीबी विश्वसनीय पंडित से सही स्वास्तिक बनाने का तरीका पूछ सकते है।

स्वास्तिक चिन्ह की स्थान पर बनाना चाहिए

स्वास्तिक चिन्ह को घर अथवा प्रतिष्ठान ऐसे स्थान पर बनाया जाता है। स्वास्तिक चिन्ह को नयी गाडी पर भी बनाया जाता है। सभी मंगल कार्यो के स्थान पर स्वास्तिक चिन्ह को बनाया जाता है। यह वास्तु के अनुसार बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है।

स्वास्तिक नाम का शुभ अंक क्या है

स्वातिक नाम स्वामी होता है शनि। ऐसे में शुभ अंक 8 होता है। जिन लोगो का नाम स्वास्तिक और शुभ अंक 8 होता है ऐसे लोगो को कभी भी धन की कमी नहीं होती है। इस अंक के लोगो में एक खास बात होती है यह अपने नियम स्वयं बनाते है ऐसे लोगो किसी और की बनाई कुप्रथा को नहीं मानते यह अपने विचारो के अनुसार ही कार्य करते है। इन लोगो के करियर में किसी और का योगदान नहीं होता है अर्थात ऐसे लोगो दुसरो की मदद से या तुक्का लगने से सफल नहीं होते है। यह खुद मेहनत कर अथक प्रयासों से अपने आपको सफल बनाते है। ऐसे लोग समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाते है। ऐसे लोगो को समाज बेहद मान सम्मान मिलता है।

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ByKumar
मैं आठ वर्षों के अनुभव के साथ प्रवाह में एक वरिष्ठ लेख लेखक हूं। मुझे ऑटोमोबाइल व्यवसाय, सरकारी योजना, ट्रेंडिंग न्यूज़ और सरकार से संबंधित समाचारों के बारे में लिखने में रुचि है।
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