मध्य प्रदेश के सागर जिले में एक प्राथमिक शिक्षक के द्वारा शराब के नशे में स्कूल पहुंचने और छात्रों के साथ दुर्व्यवहार करने की घटना से शिक्षा जगत में सदमा और आक्रोश है। शासकीय प्राथमिक शाला जमनापुर परासिया के शिक्षक, श्री रामलाल अहिरवार को इस अक्षम्य अपराध के लिए निलंबित कर दिया गया है।
यह घटना सामने आई जब दैनिक भास्कर के सागर संस्करण ने इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया। समाचार में प्रस्तुत तथ्यों ने इस बात की पुष्टि की कि श्री अहिरवार नशे की हालत में स्कूल पहुंचे थे और बच्चों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के अनुसार, श्री अहिरवार स्कूल में छात्राओं के बैगों पर लोट रहे थे, जिससे छात्र भयभीत हो गए थे।
शिक्षक की इस अशोभनीय हरकत की खबर लगते ही छात्रों के अभिभावक भी स्कूल पहुंचे। जब अभिभावकों ने श्री अहिरवार से बात करने की कोशिश की तो वह नशे की हालत में कोई जवाब देने में असमर्थ थे। इसके अलावा, उनके द्वारा बच्चों के साथ मारपीट करने के भी आरोप लगे हैं।
श्री अहिरवार का यह कृत्य न केवल शैक्षणिक गरिमा के प्रतिकूल है, बल्कि यह म.प्र. सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-3 के उपनियम (1) (11) (111) का भी उल्लंघन है। इस गंभीर कदाचरण के लिए, श्री अहिरवार को म०प्र० सिविल सेवा वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम-9 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। उन्हें मुख्यालय विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी, शाहगढ़ जिला सागर में नियत किया गया है।
यह घटना शिक्षा व्यवस्था में नैतिकता और जिम्मेदारी की कमी को उजागर करती है। शिक्षकों के लिए बच्चों के कल्याण और शिक्षा को प्राथमिकता देना आवश्यक है, न कि अपनी व्यक्तिगत लापरवाही और अशोभनीय आचरण को। इस मामले में की गई कार्रवाई शिक्षा जगत में अनुशासन और जवाबदेही को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।