मध्यप्रदेश में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहाँ 46 सरकारी शिक्षकों को फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी पाने के जुर्म में बर्खास्त कर दिया गया है।
वर्षों तक झूठ की नींव पर सरकारी नौकरी का सुख भोगने वाले इन शिक्षकों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए खुद को दिव्यांग दर्शाकर नौकरी हासिल की थी। यह मामला प्रकाश में आते ही इन शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है। इसके अलावा 23 अन्य शिक्षकों के खिलाफ भी बर्खास्तगी की कार्यवाही चल रही है।
यह फर्जीवाड़ा सिर्फ़ एक-दो जिलों तक सीमित नहीं था बल्कि राज्य के 9 जिलों में फैला हुआ था। सबसे ज़्यादा मामले शिवपुरी जिले से सामने आए हैं जहाँ 28 शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है और 6 अन्य पर गाज गिरना तय है। शिवपुरी जिले में 84 शिक्षकों का मेडिकल परीक्षण कराया गया था जिसमें 2 अनुपस्थित रहे और 34 शिक्षक दिव्यांग नहीं पाए गए।
हैरानी की बात यह है कि जांच के दौरान इन शिक्षकों ने अपने बचाव में अजीबोगरीब बहाने बनाए। किसी ने कहा कि वह कम सुनता है, तो किसी ने चलने में असमर्थता जताई, तो कोई लिखने में असमर्थता का दावा करने लगा। इस मामले में लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल के संचालक केके द्विवेदी ने बताया कि फ़र्ज़ी दिव्यांगता प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी पाने वाले सभी शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला ना सिर्फ शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार को उजागर करता है बल्कि उन वास्तविक दिव्यांग लोगों के साथ अन्याय का भी प्रतीक है जिनके अधिकारों का हनन कर ये फर्जी शिक्षक नौकरी कर रहे थे।