मध्य प्रदेश के हरदा जिले में सरकारी स्कूलों के गिरते शैक्षणिक स्तर ने चिंता की लकीरें खींच दी हैं। हाल ही में सामने आए माध्यमिक शिक्षा मंडल, भोपाल के परीक्षा परिणामों ने शिक्षा व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर किया है, खासकर सरकारी स्कूलों में। स्थानीय मीडिया द्वारा की गई पड़ताल में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है – जिन स्कूलों में प्रधानाचार्य और शिक्षकों के रिश्तेदारों को अतिथि शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है, उन स्कूलों का परिणाम अपेक्षाकृत खराब रहा है। हरदा में इस तरह की नियुक्तियों की संख्या चिंताजनक रूप से अधिक है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लग रहा है।
निराशाजनक आंकड़े और फेल होते शिक्षक
हरदा जिले के 85 हाई स्कूलों में से 24 स्कूलों का परीक्षा परिणाम 33% से भी कम रहा है, जबकि 7 हायर सेकेंडरी स्कूलों का प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा है। हाई स्कूल रकत्या में तो सभी विद्यार्थी फेल हो गए, जिससे स्कूल का परिणाम शून्य रहा। दसवीं और बारहवीं दोनों कक्षाओं के परिणाम पिछले वर्षों की तुलना में काफी कम रहे हैं, जिससे छात्रों और उनके अभिभावकों में आक्रोश है। इस स्थिति को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि इन स्कूलों में बच्चे नहीं, बल्कि शिक्षक फेल हुए हैं।
जिला पंचायत सीईओ रोहित सिसोनिया द्वारा शैक्षणिक स्तर सुधारने के लिए किए गए प्रयास भी विफल रहे हैं। अतिरिक्त कक्षाएं, निगरानी और अन्य उपायों के बावजूद, परिणाम में सुधार नहीं हुआ, बल्कि और गिरावट आई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि समस्या की जड़ें कहीं और हैं, और उसे पहचान कर उसका समाधान करना आवश्यक है।
परिवारवाद का बोलबाला और योग्यता की अनदेखी
स्थानीय मीडिया की पड़ताल में सामने आया है कि कई स्कूलों में प्रधानाचार्य और शिक्षकों ने अपने रिश्तेदारों को अतिथि शिक्षक के रूप में नियुक्त किया है, जिससे योग्य उम्मीदवारों की अनदेखी हुई है। टेमागांव हाईस्कूल इसका एक उदाहरण है, जहाँ प्रधानाचार्य विनीत सक्सेना की पत्नी स्मृति सक्सेना अंग्रेजी विषय की अतिथि शिक्षिका हैं, जबकि शिक्षिका सरस्वती साहू की बहू मोहिनी साहू गणित विषय की अतिथि शिक्षिका हैं। इन दोनों विषयों में ही सबसे ज्यादा बच्चे फेल हुए हैं। इसी प्रकार, सीएम राइज उत्कृष्ट स्कूल खिरकिया के प्रधानाचार्य शरीफ के रिश्तेदार भी स्कूल में अतिथि शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं, जिससे स्कूल का परिणाम प्रभावित हुआ है।
हरदा में शिक्षा के गिरते स्तर को सुधारना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, लेकिन इसे असंभव नहीं माना जा सकता। पारदर्शिता, जवाबदेही, प्रशिक्षण और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, ताकि वे अपने भविष्य को बेहतर बना सकें और समाज में सकारात्मक योगदान दे सकें।