जबलपुर हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिससे राज्य सरकार के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है। न्यायालय ने कहा कि इन को पेंशन का हकदार नहीं माना जाएगा।
रीवा निवासी मोतीलाल धार, जो वर्ष 1995 से 2011 तक मध्य प्रदेश सरकार के जल संसाधन विभाग में कार्यरत थे, ने पेंशन के लिए अर्जी दी थी। उनकी दलील थी कि उनके कार्यकाल के दौरान, 1995 से 2011 तक का समय पेंशन के लिए गिना जाना चाहिए। लेकिन विभाग का कहना था कि उनकी नियुक्ति तभी से मानी जाएगी जब से वे नियमित हुए हैं। इससे पहले वे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी थे, इसलिए उन्हें पेंशन नहीं मिल सकती।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल की पीठ ने मोतीलाल की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि 1976 के पेंशन नियमों में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के लिए पेंशन का प्रावधान नहीं है। न्यायालय ने कहा कि तब तक पेंशन का हकदार नहीं माना जा सकता जब तक कोई कर्मचारी नियमित नहीं हो जाता।
यह फैसला दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के लिए एक बड़ा झटका है। अब तक उन्हें उम्मीद थी कि नियमित सेवा के बाद उन्हें पेंशन मिलेगी, लेकिन अब यह उम्मीद टूट गई है। इस फैसले से उन्हें अपनी सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सुरक्षा की चिंता होगी।