मध्य प्रदेश के देवास जिले में फसल मुआवजा घोटाले का मामला अब और गंभीर होता जा रहा है। इस घोटाले में शामिल पाए गए 16 पटवारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। ये सभी पटवारी कन्नौद, खातेगांव और सोनकच्छ क्षेत्रों से हैं। इससे पहले टोंकखुर्द के दो पटवारी और सोनकच्छ एवं कन्नौद के दो लिपिकों की भी सेवाएं समाप्त की जा चुकी हैं।
यह घोटाला तब सामने आया जब कुछ किसानों ने फसल मुआवजा न मिलने की शिकायत की। बाद में विभिन्न ग्रामीणों के साथ-साथ कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस मामले को लेकर आवाज उठाई। इसके बाद प्रशासन ने ऑडिट करवाया जिसके बाद घोटाले का खुलासा हुआ।
जांच में सामने आया कि पटवारियों ने किसानों की फसल क्षति का झूठा आंकड़ा दर्ज करके उन्हें कम मुआवजा दिया। कई मामलों में तो ऐसे भी पाए गए हैं जहां किसानों को मुआवजा ही नहीं मिला, जबकि उनकी फसल बर्बाद हो गई थी।
इस मामले में किसानों ने प्रशासन पर कार्रवाई में देरी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि अगर समय पर कार्रवाई होती तो इतने सारे पटवारियों की नौकरी नहीं जाती। उनका यह भी कहना है कि प्रशासन को ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और जो किसानों को नुकसान पहुंचाया है, उसे उन्हें वापस दिलाना चाहिए।
इस मामले में आगे भी कार्रवाई होने की उम्मीद है। कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे मामले की गहनता से जांच करें और सभी दोषियों को सजा दिलाएं।