मध्य प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था का दर्पण एक बार फिर खराब प्रशासनिक व्यवस्था और अफसरों की उदासीनता से झलकता है। मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग में शैक्षणिक गतिविधियों को गंभीरता से लेने की कमी खिली हुई है। सत्र की शुरुआत से ही सिस्टम खराब कर देने का रवैया नज़र आता है, और जब परिणाम निराशाजनक होते हैं तो उसके लिए या तो शिक्षकों को जिम्मेदार ठहराया जाता है या अतिथि शिक्षकों को।
हाल ही में, माध्यमिक शिक्षा मंडल, मध्य प्रदेश, भोपाल द्वारा प्रशिक्षण के लिए सभी संबंधित सरकारी और प्राइवेट हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों से शिक्षकों की जानकारी मांगी गई थी। इसके संबंध में 16 मई को समस्त जिला शिक्षा अधिकारी के नाम पहला पत्र जारी किया गया था। लेकिन इंदौर के जिला शिक्षा अधिकारी ने उप सचिव के पत्र पर कोई ध्यान नहीं दिया। यह लापरवाही उस समय और भी चिंताजनक हो जाती है जब हम देखते हैं कि इंदौर के जिला शिक्षा अधिकारी ने इस महत्वपूर्ण पत्र के लिए कोई सर्कुलर भी जारी नहीं किया।
मध्य प्रदेश बोर्ड आफ सेकेंडरी एजुकेशन भोपाल द्वारा जानकारी भेजने की आखिरी तारीख 31 मई निर्धारित की गई थी, लेकिन इंदौर के जिला शिक्षा अधिकारी ने मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल के पत्र पर कोई ध्यान नहीं दिया। आज 5 जून को, यानि आखिरी तारीख गुजर जाने के 5 दिन बाद समस्त संकुल प्राचार्य के नाम सर्कुलर जारी किया गया है। इसमें लिखा है कि “माध्यमिक शिक्षा मण्डल म.प्र.द्वारा प्रतिवर्ष हाई स्कूल/ हायर सेकेण्डरी की परीक्षाओं का आयोजन एवं मुल्यांकन कार्य किया जाता है। संकुल अंतर्गत मान्यता प्राप्त संस्थाओं में से निम्नलिखित विषयों के योग्य एवं अनुभवी ऐसे शिक्षक जो कि हिन्दी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रश्नपत्र का निर्माण कर सके, उनकी सूची निम्न लिखित फार्मेंट में एम.एस. एक्सल फाईल में हार्ड एवं सॉफ्ट कॉपी में अविलम्ब भिजवाना सुनिश्चित करें।”
यह सर्कुलर शिक्षकों पर उनके काम के अलावा एक नया बोझ डालता है। यह बोझ उनकी समय सीमा को प्रभावित करता है और उन्हें शिक्षण और विद्यार्थियों पर ध्यान केन्द्रित करने से रोकता है। यह उदासीनता और लालच का प्रतीक है।
प्रशिक्षण के विषय:
- हाईस्कूल: हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, पंजाबी, सिंधी, गुजराती, मराठी, ऊर्दू, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, ललित कला, एवं संगीत।
- हायरसेकेण्डरी: हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, मराठी, ऊर्दू, भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान, गणित, इतिहास, भुगोल, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, समाज, ग्रह विज्ञान समुह, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र वाणिज्य समूह, कृषि समुह, आई.पी., बायोटेक्नोलॉजी, शारीरिक शिक्षा संगीत, व्यावसायिक शिक्षा (NSQF ट्रेंड अनुसार) कम्युटर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ललित कला समूह।
- डी.एल.एड.: समस्त विषय
यह सवाल केवल इंदौर से नहीं बल्कि पूरे मध्य प्रदेश से जुड़े हैं। शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए यह ज़रूरी है कि अफसर अपनी ज़िम्मेदारी समझें और अपना कर्तव्य निष्ठा से निभाएँ। शिक्षकों को भी यह समझना ज़रूरी है कि वे अपने अधिकारों के साथ साथ अपनी ज़िम्मेदारियाँ भी समझें और बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए खुद को प्रशिक्षित करें।