मध्य प्रदेश के सागर जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहाँ एक नवनियुक्त महिला प्राथमिक शिक्षिका की सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया गया है। जिला कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री दीपक आर्य द्वारा लिया गया यह कड़ा निर्णय, कर्तव्यपालन के प्रति उदासीनता और लापरवाही का एक गंभीर परिणाम है।
अनुपस्थिति और लापरवाही की दास्तां
राहतगढ़ क्षेत्र में नियुक्त नेहा खेरवार नामक यह शिक्षिका 17 अगस्त 2023 को कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात बिना किसी पूर्व सूचना के लगातार अनुपस्थित रही। उनके इस गैरजिम्मेदाराना व्यवहार का सिलसिला यहीं नहीं थमा। अप्रैल माह में आयोजित मतदान दल के प्रशिक्षण में भी उनकी अनुपस्थिति दर्ज की गई, जिसके कारण उन्हें स्पष्टीकरण के लिए नोटिस जारी किया गया। इस नोटिस का भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, जिससे उनकी लापरवाही और उदासीनता और भी उजागर हुई।
शिक्षिका की लगातार अनुपस्थिति और गैरजिम्मेदाराना रवैये को देखते हुए, जिला कलेक्टर श्री दीपक आर्य ने जिला शिक्षा अधिकारी को मामले की जाँच के निर्देश दिए। जाँच के दौरान पाया गया कि नेहा खेरवार 18 अगस्त 2023 से बिना किसी अधिकृत कारण के लगातार अनुपस्थित हैं। इसी आधार पर कलेक्टर ने उनकी सेवा समाप्ति के आदेश जारी कर दिए।
यह घटना शिक्षा जगत के लिए एक गंभीर चेतावनी है। एक शिक्षक का पद समाज में सम्मान और जिम्मेदारी का प्रतीक होता है। बच्चों के भविष्य को संवारने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले शिक्षकों से कर्तव्यनिष्ठा और जवाबदेही की अपेक्षा की जाती है। नेहा खेरवार का यह कृत्य न केवल उनके पेशे के प्रति अपमानजनक है, बल्कि उन बच्चों के साथ भी अन्याय है जो उनके मार्गदर्शन और शिक्षा के अधिकारी थे।
यह घटना शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े करती है। क्या चयन प्रक्रिया में अभ्यर्थियों के चरित्र और कर्तव्यपरायणता का आकलन सही ढंग से हो रहा है? क्या केवल शैक्षणिक योग्यता ही पर्याप्त है, या व्यक्तिगत गुणों और मूल्यों को भी महत्व दिया जाना चाहिए? यह एक ऐसा प्रश्न है जिस पर शिक्षा विभाग को गंभीरता से विचार करना चाहिए।